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परिवार तो तब ही बनता है ना -जब मां लोरी सुनाती है

Ujjwal Kumar 23 Jun 2023 कविताएँ बाल-साहित्य ✌मजेदार अन्दाज मे ✌परिवार तो तब ही बनता है ना ? 7160 0 Hindi :: हिंदी

परिवार तो तब ही बनता है ना ?
		
                जब मां लोरी सुनाती है
		थपकियां दे के सुलाती है
		हांथ पिता का हम पकड़ कर
		निश्चिंतता से सो जाते है ।
		
		परिवार तो तब ही बनता है ना ?
		
		परियों की कहानी सुनाती
		वो दादी की पोपली जुबानी
		दादा के कंधे पर झूल कर
		भरे बाजार हो जाएं रवानी ।
		
		परिवार तो तब ही बनता है ना ?
		
		दीदी करें कान पिराई
		भाई की भी खूब पिटाई
		झूठ मूठ जब आएं रुलाई
		मिलें बक्शिश नान खटाई
		
		परिवार तो तब ही बनता है ना ?
		
		थोड़े गिले थोड़े शिकवे
		और शिकायत होती है ना ?
		ढेर सारे प्यार में घुल कर
		साफ मन को करती है ना ?
		
		परिवार तो तब ही बनता है ना ?
		
		तू - तू , मैं - मैं  के शोर में
		बंध रिश्तों के जब टूटें ना
		रिश्ते नातें सब को जोड़ें
		जब घर को कोई तोड़े ना
		
		परिवार तो तब ही बनता है ना ?
		
                🖊स्वरचित लेखन 
                  ✍उज्ज्वल कुमार

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