Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

भरम वाला निशाचर

Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ राजनितिक भरम वाला निशाचर 23759 0 Hindi :: हिंदी

भरम वाला निशाचर 
डराने लगा है 
सपने में भी 
भयभीत 
करने लगा हैं 
रोज़ रोज़ नए नए 
तरह तरह के वादे 
खौफ ज्यादा 
दिखाने लगा हैं 
कुर्सी की नीतियां 
कुरीति फ़ैलाने लगी हैं 
हर तरफ हाहाकार हैं 
गर्दिश में इंसान हैं 
कुछ व्यभिचारी पार्टीयां
भरम वाला भूत 
फ़ैलाने लगे हैं
कही दंगा कही फसाद 
तो कही बुरी रीति
नारी पे अत्याचार 
सरेआम दिखेने लगा हैं 
धर्म की राजनीतियाँ 
चारो दिशा में गूंजने लगा हैं 
बबुआ बुआ भैया दीदी 
खुजली वाले चाचा भी 
जगह जगह गुर्राने लगे हैं 
देश के खिलाफ बोलने बाली
बोलियां 
और जोर से उठने लगी हैं 
विन बजह के रैलियां 
जगह जगह सजने लगी हैं 
सरकार की चुपियाँ 
प्रजातंत्र को और 
पराधीन करने लगी हैं 
असहाय लाचार बेबस
जनता जनार्धन 
ठगा ठगा महसूस 
करने लगा हैं 


Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: