संदीप कुमार सिंह 22 Jun 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4561 0 Hindi :: हिंदी
यात्रा का नाम सुनते ही मन रोमांचित हो जाता है, खुशियां जैसे मन में हिलोरें मारने लगते हों। सवारी कोई भी हो, यात्रा दौरान प्रकृतिय दृश्य, देखने से दिल खुश हो जाता है। हरेक जगहों के अलग_अलग रूप होते हैं, अलग _अलग उसमें आभा होती हैं। खिड़की से झांकना तो, बेहद रोमांचकारी छन होता है। बीच_बीच में रेलवे गुमटी का दर्शन, भी बहुत ही सुखद अहसास देता है। बड़े_बड़े पहाड़_पर्वतों को निहारना, लहलहाती फसलों को देखना, आंखों में शीतलता प्रदान करते हैं। यात्रा दौरान खाना खाने का भी, काफी अद्भुत स्वाद प्राप्त होता है। आंतरिक और बाहरी दोनों रुप से, आनंद ही आनंद रहता है। मंगल मय यात्रा की कामना, दिल लिए निकल पड़ता हूं । (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....