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गंगे तेरा जल पावन-शीतल करता है तन मन

Raysingh Madansingh Rauthan 14 Dec 2023 कविताएँ धार्मिक गंगा जल, जीवनदायनी गंगे माता 5298 0 Hindi :: हिंदी

गंगे तेरा जल पावन
शीतल करता है तन मन

हिमालय की गोद से
लिया है जन्म तुमने

शैलपुत्री कहलाती हो
प्राणियों की प्यास बुझती हो

कल -कल करती तेरी जलधारा
शीतल अमृत तेरी जलधारा

वक्र रूप से तुम निकलती
शांत स्वरुप मैदानों में बहती

कभी विराट रूप धारण करती
कहीं बालस्वरूप बन जाती

हर रूप तुम धारण करती
फिर भी सब की प्यास बुझती

गंगे तेरा जल पावन
शीतल करता है तन मन

कहीं छोटे झरनो में बहती
कहीं लहर तुम बन जाती

तट किनारों पर टकराती
मझधार में कहीं नाव बहती

कभी पावन से तुम लहराती
कहीं तटों पर चढ़ जाती

तेरी पूजा करते सब जन
माता जल पावन

सबका तुम पालन करती
खेतों में फसलें लहराती

प्रकृति का तुम हो वरदान
गंगे माता तुम हो महान

हिमालय से सफर तुम्हारा
गंगा सागर तक चल जाता

कहीं न थमे ये धारा तुम्हारी
दुखों को तुम साथ ले जाती

सुख समृदि तुम दे जाती
अमृत जल तुम पिलाती

हे माता तुम हो महान
गंगे तेरा जल पावन
शीतल करता तन मन |


:- रायसिंह मदनसिंह रौथाण

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