DINESH KUMAR KEER 27 May 2023 कविताएँ समाजिक 5199 0 Hindi :: हिंदी
*चाहत* *मुझे तुमसे मोहब्बत हो गई है,* *ये दुनिया ख़ूबसूरत हो गई हैं,* *ख़ुदा से रोज तुम को माँगता हूं,* *मेरी चाहत इबादत हो गई है,* *वो चेहरा चाँद है आँखें सितारे,* *ज़मी फूलों की जन्नत हो गई है,* *बहुत दिन से तुम्हें देखा नहीं है,* *चले भी आओ मुद्दत हो गई है,*