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प्रतिज्ञा की प्रेरणा

Ashok Kumar Yadav 30 Mar 2023 कहानियाँ समाजिक 10461 0 Hindi :: हिंदी

लघुकथा- प्रतिज्ञा की प्रेरणा

एक गांव में आलोक नाम का लड़का रहता था। वह पढ़ने के लिए प्रतिदिन स्कूल जाता था। स्कूल से आने के बाद गृह कार्य नहीं करता था, घर में बस्ता रखकर खेलने के लिए चला जाता था। आलोक अपने दोस्तों के साथ स्थानीय खेल जैसे- बाटी, भौंरा, ताश, लुका-छुपी, गुल्ली-डंडा, तैराकी आदि खेलता था। उसका मन पढ़ाई में बिल्कुल नहीं लगता था, इसलिए उसे परीक्षा में कम नंबर मिलता था। एक दिन की बात है, उसके पड़ोसी के घर में एक बुढ़िया और एक लड़की मेहमान बन कर आयी। उस लड़की का नाम प्रतिज्ञा था। प्रतिज्ञा आंगन में बैठी थी। आलोक, प्रतिज्ञा को देखते ही उसके पास चला गया और कहा- 'तुम किस गांव से आयी हो? तुम्हारा नाम क्या है? तुम किस कक्षा में पढ़ती हो?' प्रतिज्ञा ने कही- 'मैं सोनपुर गांव की रहने वाली हूं। मेरा नाम प्रतिज्ञा है। इस वर्ष मैं कक्षा दसवीं में पढूंगी। तुम किस कक्षा में पढ़ते हो?' आलोक ने शरमाते हुए कहा- 'मैं दसवीं में पिछले साल अनुत्तीर्ण हो गया था, फिर से इस वर्ष दसवीं पढूंगा।' प्रतिज्ञा ने कही- 'आलोक, तुम पढ़ाई करते नहीं हो इसलिए अनुत्तीर्ण हो गए हो। तुम खेल खेलने में अधिक ध्यान देते हो। इस वर्ष प्रतिदिन छः से आठ घंटे पढ़ाई करना। मैं भी इतने ही घंटे पढ़ाई करती हूं। तुम जरूर उत्तीर्ण हो जाओगे। दसवीं और बारहवीं कक्षा में तुम अच्छा प्रतिशत लाओगे तो, तुम्हें नौकरी मिलेगी।' प्रतिज्ञा की बात को सुनकर आलोक प्रेरित एवं उत्साहित हुआ। कुछ दिनों के बाद प्रतिज्ञा अपने घर चली गयी। आलोक अब प्रतिदिन तन्मयता से पढ़ाई करने लगा। उसने कक्षा दसवीं की परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण किया।

लघु कथाकार- अशोक कुमार यादव मुंगेली, छत्तीसगढ़

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