Rambriksh Bahadurpuri 24 Nov 2023 कविताएँ समाजिक #Rambriksh Bahadurpuri #Ambedkarnagar poetry# Akadashi per kavita 10364 0 Hindi :: हिंदी
दरिद्रता " सुबह सबेरे तड़तड़ाहट की आवाज कानों में पड़ते ही नीद टूटी,मैं जाग पड़ा, देखा कि लोग सूप पीट पीट कर दरिद्र" भगा रहे थे घर के कोने-कोने से आंगन बाग बगीचे से, मैं समझ न पाया दरिद्र कहां है? कौन है? भागा या नहीं! दरिद्र मनुष्य खुद अपने कर्म से अपने सोंच से होता है या हो जाता है यह कैसी विडम्बना है हम जान कर अंजान है और कहते हैं हम महान है बलवान हैं संज्ञान और बुद्धिमान हैं जबकि, अपने इन्हीं कर्मो से ही हम परेशान हैं , मैं समझ चुका था सदियों से अंधविश्वास, और रूढ़ियों के बोझ को ढो ढो कर लगता है बस यही हमारे दुखों का एक निदान है, इसीलिए तो सूप पीट पीट कर दरिद्र भगाने के बाद भी दरिद्रता ही आज हमारी पहचान है। रचनाकार रामबृक्ष बहादुरपुरी अम्बेडकरनगर उत्तर प्रदेश
I am Rambriksh Bahadurpuri,from Ambedkar Nagar UP I am a teacher I like to write poem and I wrote ma...