Ashok Kumar Yadav 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 68485 0 Hindi :: हिंदी
कविता का शीर्षक- वृक्ष हमारे सच्चे मित्र हे! मानव तुम मुझे मत काटो, बदन को टुकड़ों में मत बांटो। महसूस करता हूं दुःख दर्दों को, कोमल शाखाओं को मत छांटो।। मेरे डालियों में पंछी के घोंसले हैं, तम रंध्र में सॉप के नन्हें सपोले हैं। बैठ छाया में खाना खाता किसान, मुझसे ही खेत के अन्न में हौंसले हैं।। मैं ही बगिया में बैठी हरियाली हूं, बसंतदूत की कूक,आम्रपाली हूं। बरगद और पीपल दादा के समान, स्वयं रोग भस्मक औषधि छाली हूं।। बरखा को बुलाता हूं देकर संदेश, पिया से मिलवाता जो जाता परदेश। प्राणियों का जीवन दाता कहलाता, विबुध निवास करते हैं मेरे अंतर्वास।। एक वृक्ष होता है दस पुत्रों के समान, एक पेड़ लगाओ,सौ गायों का दान। जन जब बना लेंगे मुझे अपना मित्र, तब विश्व बन जायेगा महकता उद्यान।। कवि- अशोक कुमार यादव मुंगेली, छत्तीसगढ़,(भारत)।