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पथिक

Santoshi devi 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक मुसाफिर, बटोही 14008 0 Hindi :: हिंदी

तुम सृजन पथ के पथिक,
नित-नित नव निर्माण करो।
लक्ष्य भेदन खातिर,
तन- मन से संधान करो।

राहे सुगम है नहीं,
पग- पग कांटे बिखरे हैं।
चलता जाए अविचल,
सपने उसके निखरे हैं।
चुन-चुन कांटे पथ से,
पत्र पुष्प यह दान करो।
तुम सृजन पथ के पथिक,
नित-नित नव निर्माण करो।

लहरों पर सवार हो,
कश्तीयों को जाने दो।
तुफाँ से टकरा चलो,
आते है तो आने दो।
मन नाविक तन नैया,
पूरे सब अरमान करो।
तुम सृजन पथ के पथिक,
नित-नित नव निर्माण करो।

कायरता  वरण करे,
जीते जी मरना पड़ता।
मानवता के खातिर,
त्याग कोष भरना पड़ता।
साहस का दम भरकर,
ज्ञानदीप उनमान करो।
तुम सृजन पथ के पथिक,
नित-नित नव निर्माण करो

उठो-उठो नव भविष्य,
पुनः नया निर्माण करो।
नीरस सोये मन में,
नव संचारी भाव भरो।
नवयुग नव वीणा से,
सुंदर मन के गान करो।
तुम सृजन पथ के पथिक,
नित-नित नव निर्माण करो।

हवा का रुख मोड़ना,
नफरतो का मुख तोड़ना।
शोषण स्तम्भ उखाड़ना,
झूठा इतिहास फाड़ना।
बाकी है बाकी है,
नीव के पत्थर खोजना।
भूल कंगूरों को अब,
अमिट साक्ष्य प्रमाण करो।
तुम सृजन पथ के पथिक,
नित-नित नव निर्माण करो।


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