Poonam Mishra 18 Jun 2023 आलेख समाजिक एक विचार यूं ही 5499 0 Hindi :: हिंदी
न जाने क्यों सब कुछ होते हुए भी मन कभी-कभी बहुत दुखी हो जाता है और ऐसा लगता है कि खुशी तो हमारे पास है ही नहीं उस समय हमें घर से बाहर निकल कर कुछ दूर रोड पर उन बच्चों को भी देखना चाहिए जो गुब्बारा लेकर पूरा दिन घूमते रहते हैं और उनका एक भी गुब्बारा नहीं बिकता फिर भी वह कितना खुश रहते हैं आप उनसे ₹1 का एक गुब्बारा ले लीजिए और उनकी खुशी खुशी का ठिकाना देख लीजिए कहा गया है कि खुशी हमारे अंदर ही होती है और जब हमें यह दिखाई ना दे तो हमें बाहर निकल के आसपास के लोगों को भी ध्यान से देखना चाहिए देखिए वह कितने कम में भी कितना ज्यादा खुश है