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एक जरा सी भूल-नुकसान करती भारी पीछे और धकेल

संदीप कुमार सिंह 11 Oct 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 10417 0 Hindi :: हिंदी

#विधा:_रोला छंद
#"सृजन समीक्षार्थ प्रस्तुत" 
एक जरा सी भूल,नुकसान करती भारी।
पीछे और धकेल,चलाए मुझ पर आरी।।
रहे निकलती आह,दर्द को फिर दिल सहता।
कुछ जन करे मजाक,आँख से आंसू बहता।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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