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रक्तदान

Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ देश-प्रेम #Rambriksh kavita#Raktdaan per kavita#ambedkar Nagar poetry 56255 0 Hindi :: हिंदी

कविता-रक्तदान

जय जय रक्तदान हे!
मानव  धर्म-प्रान हे!
मानव जान बचाता है तू,
जीवन नया दिलाता है तू,
जीवन दान कहाता है तू,

                    प्रकृति का वरदान हे!
                    मानव  धर्म-प्रान हे!


एक रूप जन जन में बहता,
हिन्दू मुस्लिम एक समझता,
रिस्ता खून खून का रखता,


                    जग का महादान हे!
                    मानव  धर्म-प्रान हे!


दीन हीन के जीवन दाता
मानवता का धर्म निभाता
ऊंच नीच का भेद मिटाता

                   
                    दान कर्म महान हे!
                    मानव  धर्म-प्रान हे!


मिलता ना उपचार कहीं जब,
रक्तदान का दान सही तब
करता है उपकार यही तब,


                     दया धर्म कल्याण हे!
                     मानव  धर्म-प्रान हे!



रचनाकार- रामवृक्ष, अम्बेडकरनगर। 

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