Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

शाईरी- कांटे तो अपने हो चुबाते है?

Mohammed fejaan 30 Mar 2023 शायरी समाजिक गूगल 32867 0 Hindi :: हिंदी

दिनांकित-

26-11-2022

शतवार शाईरी नम्बर- 29

शाईरी- कांटे तो अपने हो चुबाते है?

शायार लेख-मोहम्म वैज्ञान सिद्दिकी पिता रईस अहमद सिद्धिकी

हमारे रास्ते में कांटे अनेक बिछादिए गए बिस्तर कि तरह

अरे हमारे रास्ते में कांटे अनेक बिछादिए गए बिस्तर कि तरह लेकिन हम चुपचाप निकल

गए अपने सफर पर लेकिन दुश्मनों हमारे खिलाफ साजिस सूरू कर दि    लेकिन हमें उठाने को और हम उसे भी सेते रहें और एक दिन ऐसा भी आईया जिस पैसे के लिए वो मुझे मुँह भी नहीं लगाते हैं यें। लेकिन अब अल्लाह के करम से अब मे आगे-आगे और वो पिछे किए हैं

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

मेरे नजर के सामने तुम्हारे जैसे बहुत है यहीं एक तू ही हो , मोहब्बत करने के लिए यह जरूरी तो नहीं read more >>
मीठी-मीठी यादों को दिल मैं बसा लेना जब आऐ हमारी याद रोना मत हँस कर हमें अपने सपनों मैं बुला लेना read more >>
Join Us: