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सिर्फ पांचवी पास -ग्रामीण अंचल में एक बड़े से घर के चौक में

Meenakshi Tyagi 18 Aug 2023 आलेख समाजिक आधुनिकता की दौड़ में परिवार को प्राथमिकता बहुत पीछे छूट रही है। 8244 1 5 Hindi :: हिंदी

ग्रामीण अंचल में एक बड़े से घर के चौक में चौकी बिछाए बैठी चांद जैसे आभामंडल मुख पर लिए बिल्कुल साफ स्वच्छ वस्त्र पहने चरखे पर सूत कातती लगभग 80 -85 वर्ष की एक वृद्ध महिला, नहीं वृद्ध नही कहूंगी उन्हें क्योंकि वह आज के 40- 45 साल के व्यक्ति से भी ज्यादा चुस्त थी क्योंकि उनकी दिनचर्या कुछ इस तरह की थी कि आज की युवा पीढ़ी भी इतने काम नहीं कर सकती है।
रोज सुबह जल्दी उठना नित्यकर्म से निवृत होना भगवान की पूजा करना और हां भगवान की पूजा से याद आया कि गीता के अनगिनत संस्कृत श्लोक और रामायण की असंख्य चौपाइयां उन्हें कंठस्थ थी गीता पाठ ऐसे करती थी जैसे प्रकांड पंडित हो और सबसे बड़ी बात कि उन्हें आंखों पर चश्मा भी नहीं लगा था कैसे लगता मक्खन को एक सौ एक बार धोकर आंखों के लिए काजल तैयार करती है और उसे आंखों में धारण करती थी बचपन में हमें भी लगाया करती थी फिर पूजा के बाद दूध से मक्खन निकालना, सब्जी काटना, सूत कातना,गोबर से उपले बनाना, पेड़ पौधों का ध्यान रखना, नए पौधे लगाना, साल भर के लिए जवे और सेमिया तैयार करना आदि और  बहुत से काम ऐसे थे जो किया करती थी।
पता है उन्हे  चीजों का रिसायकल करना भी बहुत बेखूबी आता था जैसे हमारी पुरानी कॉपी किताबों को पानी में गला कर कागज की टोकरिया बनाना, थालिया बनाना,बहुत से बर्तन बनाना।  मिट्टी के इतनी सुंदर चूल्हे और अंगूठियां और अलमारियां बनानी आती थी उन्हें, पता है अलमारी में लकड़ी की खिड़की भी लगाती थी।
 मक्खन से घी बनाना और उन्हें मिट्टी की हांडियों में स्टोर करना, पेड़ पौधों में वह ज्यादातर सब्जियों के पौधे जैसे लौकी तोहरी कद्दू की बेल, पालक लगाना बैंगन भिंडी आदि और जड़ी-बूटी में पुदीना, तुलसी, मरवा हमेशा घर में लगा कर रखती थी और समय-समय पर उसके पत्तों से हमें चटनी बनाकर भी खिलाती थी। और हा घर में एक नियम का हमेशा पालन किया जाता था सूरज ढलने से पहले रात का खाना सबको खा लेना था और इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता था। परिवार को स्वस्थ रखने की जिम्मेदारी जैसे उनकी ही थी यह बात लिखती है मैं थोड़ी भावुक भी हो रही हूं खैर अब आगे की बात बताती हूं सूत कात कर इकट्ठा करके महीने में 1 दिन शहर में गांधी आश्रम में ले जाती थी और उसके बदले वहा से खादी के बिस्तर लाती थी उनके समय में कभी भी बाजार से पैसे देकर बिस्तर नहीं खरीदना पड़ता था  वह पहले से ही इंतजाम रखती थी जब कभी घर पर मेहमान आ जाते थे तो उनकी आवभगत में कोई कमी ना रह जाए इस बात का भी विशेष ध्यान रखती थी हर त्यौहार के सारे रीति रिवाज पूरे दिल से निभाती थी और हम बच्चों को भी उनमें शामिल करके नई पीढ़ियों को सिखाती थी साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना और रात के समय ध्यान मुद्रा में बैठकर ध्यान लगाना भी उनके नित्य कर्मों में से एक कर्म था और अपनी दिनचर्या को अनुसरण करते हुए दूसरे व्यक्तियों के सुख-दुख में भी हमेशा खड़ी रहती थी और बहुत सारी बातें ऐसी हैं जो मैं लिख नहीं पा रही हूं क्योंकि लेख बहुत ज्यादा लंबा हो रहा है।
अब आप बताइए कि इतनी गुणी महिला कितनी पढ़ी लिखी होगी?  लगता है ना की न जाने कितनी डिग्रियां उन्होंने ली होंगी तब जाकर उन्हें यह ज्ञान प्राप्त हुआ होगा पर मैं आपको बताना चाहूंगी कि उन्होंने कोई भी डिग्री नहीं ली थी वह सिर्फ पांचवी पास थी।
आज आधुनिकता की इस दौड़ में प्रतियोगिता के इस माहौल में शायद एक स्वस्थ और एक मजबूत परिवार बहुत पीछे छूट रहा है मेरा इशारा किस तरफ है यह आप लोग समझ ही गए होंगे।
 सोचिए और बताइए....

Comments & Reviews

Aruna
Aruna True..👍

8 months ago

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