Raj Ashok 15 Nov 2023 शायरी समाजिक खवाईश 14179 1 5 Hindi :: हिंदी
ये, खावाईशो कि आंघीयाँ ले उडी़ बादशाहों की नींद, और परिन्दों के घर........ दर-दर भटक रहै है। आज भी मुहोबतों के वाशिन्दे , के, ऊमीद, मे उजड़ गऐ लोखों शहर.....
5 months ago
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Jai jai ho...