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विश्व शांति दिवस पर कविता-तु हार मानेगा नहीं

Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ देश-प्रेम #Ambedkarnagar poetry#Rambriksh kavita#vishva Shanti diwas per kavita#tu haar manega nahin kavita Rambriksh#desh Prem per kavita#yuddh per kavita 67714 0 Hindi :: हिंदी

विश्व शांति दिवस पर लिखी कविता-तू हार मानेगा नहीं


उठ रहीं नभ में शिखाएं
जल रही मंडल दिशाएं
खुद लगाकर आग जलता दुष्कर्म छोड़ेगा नहीं,
                                      तू हार मानेगा नहीं। 
देख लो इतिहास अपना
हो गया सब खाक सपना
हाथ मलते चल पड़ोगे कुछ साथ जायेगा नहीं,
                                     तू हार मानेगा नहीं। 
युद्ध का अंजाम मुस्किल
मर रहा इंसान तिल तिल
खुद अपनों के कातिल बन अन्याय छोड़ेगा नहीं,
                                       तू हार मानेगा नहीं। 
हो विधवा अनाथ सारे
भर रहे हैं आह गहरे
सुन ढेरों कराह तड़प पीछे पांव डालेगा नहीं
                                 तू हार मानेगा नहीं। 
युद्ध को तू धर्म कहता
मानवता का नाशकर्ता
तु हाथ में तलवार लेकर अशान्ति टालेगा नहीं,
                                    तू हार मानेगा नहीं। 
जापान हो या फ्रांस हो
या रूस हिन्दुस्तान हो
है कौन बलवान ऐसा  परिणाम है भोगा नहीं,
                                  तू हार मानेगा नहीं। 
परमाणु हथियार लेकर
युद्ध का ललकार देकर
मिट जाए संसार सारा हथियार डालेगा नहीं,
                                 तू हार मानेगा नहीं। 
धन्य है जीवन हमारा
दीप सा कर दो उजाला
विश्वशान्ति का सौगात जन जन पहुंचाएगा नहीं?
                                      तू हार मानेगा नहीं। 


रचनाकार- रामवृक्ष, अम्बेडकरनगर। 

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