Trishika Srivastava 30 Mar 2023 शायरी अन्य #writtenbydhara #writtenbytrishikadhara #trishikadhara 80370 0 Hindi :: हिंदी
अक्सर इक सवाल ज़ेहन को सताता है इक ज़ख़्म भरते ही दूजा क्यों मिल जाता है राहत मिलती है उन के छुने से मुझे चारागरों का कोई इलाज़ काम नहीं आता है - त्रिशिका श्रीवास्तव 'धरा' कानपुर (उ.प्र)