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ख्वाहिशें।

Neha bansla 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य #womens #freedom # society # poems#motivational # girls #success # support # sahitya # udaan 9159 0 Hindi :: हिंदी

बड़ी अजीब सी हे, मेरी ख्वाहिशें 
नजाने क्यों राह से भटक जाती हूं,
फिर याद आता है, अचानक तो अल्फाजों को समेट कर वापस ले आती हूं।
फिर भी नज़ाने क्यों, एक असंतुष्टि सी मन में रह जाती हैं, टू कल्पनाओं का संसार खुद से ही बना लेती हुं।
बड़ी अजीब सी हे मेरी ख्वाहिश......
कुछ कच्ची,कुछ पक्की सी बातों से सहम सी जाती हु, फिर सारी कुनीतियो पर अनुबंध खुद ही लगती हूं।
बड़ी अजीब सी हे मेरी ख्वाहिशें 
नजाने क्यों राह से भटक जाती हूं ।

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