संदीप कुमार सिंह 01 Sep 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 10407 0 Hindi :: हिंदी
(कुंडलिया छंद) खोया खोया चांद था, सुखद मिलन की रात। शीतल मधुर बयार थी, रिमझिम सी बरसात।। रिमझिम सी बरसात, प्रेम की अगन लगाये। जोड़ा बैठा साथ, ह्रदय से संग समाये।। दोनों में है प्यार,फूल सह खुशबू सोया। सदा मिले आनंद,प्रेम में दोनों खोया।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....