संदीप कुमार सिंह 18 Aug 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4587 0 Hindi :: हिंदी
करें मेहनत दिल लगा, सपना हो साकार। कदम चुमें तब सफलता,जीवन हो गुलजार।। सपना हो साकार तब, सतत लगन से काम। करें कर्म को हृदय से,रौशन होगा नाम।। सपना हो साकार जब,जीवन लगे बहार। फूलों सा हों चेहरा,मिलते सबसे प्यार।। सपना हो साकार यूं,दिवस रात रख ध्यान। सिर्फ सिर्फ सपना पले,जैसे रख अभियान।। सपना हो साकार जो,गुलशन बन परिवार। करते निर्मल प्यार सब, देते हैं अधिकार।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....