Deepak nayak 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य जीने की एक चाह 7836 0 Hindi :: हिंदी
“ मैं जीना चाहती हूँ “ मैं एक ख़ुशबूदार फूल नही बेसुमार आवाज़ बना चाहती हूँ , मैं करोड़ों मैं एक चाँद नही बल्कि एक मामूलीसा सितारा बना चाहती हूँ ! मैं सीधी- सी ज़मीन नही टेढ़े से रास्तों पर चलना चाहती हूँ , मैं आसमानी ख्वाब नही ज़मीनी ख्वाब- सी ज़िंदगी जीना चाहती हूँ ! मैं गानो का जुनून नही बल्कि नग़मों का सुकून बन्ना चाहती हूँ , मैं सौंदर्य भरा चाँद नही , एक उम्मीद भरा सूरज बन्ना चाहती हूँ ! मैं समंदर की लहर नही पानी की बूँद बन्ना चाहती हूँ , मुझे किसी मंज़ील का जुनून नही मैं बस सत्य के रास्ते पर चलना चाहती हूँ ! -प्रो. दीपक नायक