ASHWANI PANDEY ( ADVOCATE ) 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक मां 105904 0 Hindi :: हिंदी
सुबह जल्दी जगाने, सात बजे को आठ कहती है। नहा लो, नहा लो, के घर में नारे बुलंद करती है। मेरी खराब तबियत का दोष बुरी नज़र पर मढ़ती है। छोटी छोटी परेशानियों का बड़ा बवंडर करती है। ……….माँ बहुत झूठ बोलती है।।
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