Bholenath sharma 18 Jul 2023 कविताएँ समाजिक वातावरण के बारे में 6417 1 5 Hindi :: हिंदी
प्रकृति का ये सुंदर दृश भूधर, अरण्य , नदतीर । अनुराग रहित जल बहता है हर सिन्धु समीर । भीनी ब्यार चलती है अब स्वछन्द होकर । वह आती है अन्नत पथ से होकर । अविरत अथक वो बहती कोने कोनो मै कभी मद्धिम गति कभी तेज आती है होकर |
8 months ago