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मन का रुख काँप गया

Sharda prasad 23 May 2023 कविताएँ हास्य-व्यंग New authors kumar vishwas mehata 5527 0 Hindi :: हिंदी

देखा मन हर्षशाया रातो मे, प्रेम की दीप जलाया साथो मे
गिरता उठता नहलाया बातो ने, उठा पटक धमा चौकड़ी हुआ सातों मे
मन का रुख काँप गया, पप्पू मेरा भाग गया
गोटे उसके चुम्बन दार किया उसके छेद पर कई वार
हुआ दुखी मेरा ज़ब पप्पू उसकी निकली चिपकी चिपकी
देखा मन चाट गया दिल को मेरे साट गया

मनहूस कवि की मनहूस कविता

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