Bholenath sharma 16 Feb 2024 कविताएँ समाजिक 7441 0 Hindi :: हिंदी
जानते हो तुम फिर क्यों अन्जान हो मेरे पग पग के पीछे आपके चर हो । तुम हम रखते नजर हो फिर भी कहते हो तुम बेखबर हो ।
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