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हम तो मुसाफिर है अपने मंजिल के डगर की क्या बात

Jyoti yadav 02 Feb 2024 कविताएँ समाजिक बेहतर हालात 4928 0 Hindi :: हिंदी

पागल है जिंदगी
 और मस्ताना ख्वाहिशात
हम तो मुसाफिर है अपने मंजिल के
    डगर की क्या बात   

रुकना नहीं है बस चलना है
कंकड़ हो या फूल सबसे मिलना है
होके मुक्कमल करना मालूमात
हम तो मुसाफिर है अपने मंजिल के
डगर की क्या बात 

   अजीब है अलग है शायद दुर्लभ भी
मुकद्दर का पता नहीं पर गुंजाइश की पहल भी
कर्तव्य ऊंचे हैं बेहतरीन हालात
हम तो मुसाफिर है अपने मंजिल के 
 डगर की क्या बात 


ज्योति यादव के कलम से
 कोटिसा विक्रमपुर सैदपुर गाजीपुर उत्तर प्रदेश 🙏

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