Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य रंग बदलती 19219 0 Hindi :: हिंदी
इस रंग बदलती दुनिया को कई रंग बदलते देखा है कही तस्वीर तो तस्वीरों में ढलते देखा है कभी मंदिर तो कभी मस्जिद तो कभी टुटते तारो के आगे झुकते देखा है कभी भीड़ में तो कभी तन्हाई में खुद को तलाशते देखा हैं इस रंग बदलते दुनियां के कई ढंग अनोखे देखे है