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मेरी डायरी के कुछ पन्ने-बादलों ने बहुत खूबसूरत समां बांध रखा था

Uday singh kushwah 11 Aug 2023 आलेख समाजिक गूगल याहू बिंग 6471 0 Hindi :: हिंदी

"मेरी डायरी के कुछ पन्ने
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   आज बादलों ने बहुत खूबसूरत समां बांध रखा था। सुमधुर पवन मस्त बह रहा है।मेरी नींद सुबह सबेरे पांच बजे खुल गयी थी, देखा नल चल रहें हैं।और मुझे टहलने जाना है।फिर नल को टंकी में लगा कर ,थोड़ा खोलकर।टहलने चला गया।लौटा जब तक टंकी भर चुकी थी।घर से दूध के लिए वर्तन लिया दूध इंडेकशन पर रखा कपडें उतारे ।फिर आंगन और छत को धो दिया वर्तनो को धो मांजकर पीने के लिए पानी भरा।फिर वर्तन भरे।जब तक सात बज चुके थे। बेटे को उठने के लिए आवाज लगाई। लेकिन उसने आंख खोली फिर सो गया।अब तक दूध गर्म हो चुका था ।शाम की बची सब्जी को गर्म किया।फिर से बच्चों को उठाने का प्रयास किया।वे उठे विस्तर लिपेटे।फिर उन्हें नहलाया और कपड़े पहनने को स्कूल ड्रेस दी।और मैं उनके लिए नास्ता तैयार करने के लिए जुट गया था।अब पौने आठ बजे चुके थे।लंच लगाया बेटी की चोटी की जब तक बेटा चिल्लाने लगा मेरे मौजे नहीं मिल रहें हैं।चोटियों में रबड़ लगाई मौजे वहीं कपड़ों के नीचे दब गये थे। घड़ी अब सभा आठ बजा रही थी।बच्चे स्कूल जाने के लिए तैयार थे,छोटे बोला मुझे हिन्दी ग्रामर की कांपी चाहिए।कांपी दूसरी तरफ मिलती  है और उन्हें जाना दूसरी तरफ था।स्कूल उसे बिना नोट बूक के ही जाना पड़ा।
     बच्चें स्कूल जा चुके थे।मैं अब कमरे में बिखरा सामान समेटने लगा था।किचन को साफ किया।और सोच ही रहा था कि सब्जी क्या बनाई जाए?तभी नीचे से आवाज आई कि दुकान खोल दो कुछ लेना है। मैंने कमरे का काम वही छोड़ा ग्राहक को निपटाया फिर दूकान को साफ किया ।और झाड़ू लगाता।अभी घड़ी में नौ बज चुके थे चड्डा सुबह पानी भरने की बजह से गीला हो गया था।और काम की बजह से माथे पर पसीना छूट रहा था।फिर मैं कुछ देर बैठकर सुस्ता रहा था और ईश्वर का भजन कर रहा था।सब्जी वाले से सब्जी ली फिर मोबाइल को देखा मेरे चौदह लाइक थे उन्हें जबाव दिया।
कुछ कविताएं लिखीं। साहित्य बोध के रचनाकारों को को अप्रूव किया ।बीच बीच में ग्राहक आते थे।उन्हें भी निपटाता रहा।अब ग्यारह बज चुके थे।एल आई सी के लिए कई लोगों को फोन और मैसेज किये।कुछ ने प्रीमियम ले जाने के लिए भी कहा है।समय निकाल कर जाऊंगा।अभी बारह बजने वाले थे।जब तक एक सज्जन आए उनको बैंक का फार्म भरना था।फिर मैं नहाने चला गया।कपड़े वोसिग मशीन में डाले।और नहाने से पहले ब्रश किया जब तक दुकान से आवाज आई।मैनें शर्ट डाली दूकान पर पहुंचा मालुम चला कोई ग्राहक नहीं था कोई पता पूछने वाला था।फिर कपड़े उतारे और नहाया ,पूजा की फिर दुकान को बढ़ाकर खाना बनाने बैठ गया।अभी पौने एक बजे गये ।बच्चें स्कूल से आने वाले हुए।एक चरवाहे पर सब।जी दूसरे पर रोटियां सेंकी फिर आवाज़ आई कोई दुकान पर आया है।लेकिन इस बार एवं आई सी का ग्राहक था उसे पालसी सरेंडर करनी थी उसे कागजातों की जानकारी दी।फिर रोटी बनाने में लग गया था।अब घड़ी में एक बजकर पच्चीस मिनिट हो चुके थे।बच्चों के पैरों की आहट से जाना कि वो घर वापिस आ गये हैं।आते ही कपडे उतारे तो देखा जेब फट गयी है।और स्वामी का निसान जेब में आ गया हैं।बच्चा आतें ही पापा जी मैंने लंच नहीं किया और मैडम ने खड़ा रखा ।क्या हो गया।वो काफी नहीं ले गया था इस लिए खड़ा रखा और सेंकी छूट गया था इसलिए उन्होंने लंच नहीं करने दिया।मन में बहुत गुस्सा आया ।कि देखो स्कूल वाले विल्कुल भी सहयोग नहीं करतें हैं।मुंह हाथ धुलाकर खाना परोसा बच्चे फिर तुम क्या सब्जी बनाते हो मैं नहीं खा रही।फिर उसके लिए खान
ना खाने के लिए कुछ और मंगवाया।खाना खिलाया।फिर वे बैठकर टीवी देखने लगे और मैं खाना खाकर कुछ लिखने बैठ जाता हूं। घड़ी तीन बजा चुकी थी।बाहर बादल गश्रज रहे थे।स्कूल और ट्यउशन का होमवर्क कराया।चार बज गये थे बच्चे खेल रहे हैं मैंने दुकान खोलकर फिर से बैठ जाता हूं।और दो चार लोगों को एवं आई सी के लिए फोन करता हूं।फिर समय मिलनै पर बीच बीच में लिखता रहता हुं कविता कहानी और लेख।सवा छह बजे चुके थे बच्चों को दुकान पर छोड़कर लोगों से प्रीमियम लेने और नये लोगों से मिऋने जाता हूं अब सआडए़ सात बज चुके थे।फिर बैठकर गप सप लगाते रहे सभा आठ बजे कमरे में आए सब्जी को गर्म किया रोटियों को गर्म किया बच्चों के साथ पैर धुलाये ।कमरा ठीक किया खाना खाया ।कुछ देर टीवी देखी बच्चे मोबाइल से खेल रहे हैं।अब टीवी बंद कर बच्चों को सुलाता हूं फिर मोबाइल से लोगों के लाइटों का जबाव देता हूं।फिर लिखता हूं कुछ साहित्य में।बीच बीच में अंजली की याद आती रही फिर मैं सोने जाता हूं। उदासियों के दामन में सो जाता हूं।

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