Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

तुम धीरे घर पर आया करो

Shreyansh kumar jain 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक तुम धीरे घर पर आया करो 44804 0 Hindi :: हिंदी

तुम धीरे घर पर आया करो,
मगर प्यारी सी मुस्कान लाया करो,
बिजनिस की टेंशन लेकर ना गाडी चलाया करो,
सिन्गलो का ध्यान रखकर तुम गाडी चलाया करो ।
थोड़ा तुम धीरे घर पर आया करो,
दिन जब डल ने लग जाता है,
तुम्हारे घर आने का इंतजार बढ जाता है,
दिल कुछ-कुछ डरने लगता है,
तुम्हारे घर आने पर ही यह चेहरा फिर मुस्कुराने लगता है।
उम्मीदों को पंख लगाने तुम जब सुबह घर से जाते हो,
दिल फिर कुछ तुम्हारी याद में मुरझा जाता है नाखुश सा हो जाता है,
अखबार की खबर पढकर दिल अन्दर से बहुत दहला सा जाता है,
फिर दिल में तुम्हारा ही ख्याल आता हर पल हमको खाया जाता है।
हमारा हर पल भगवान से तुम्हारी लम्बी उम्र की कामना मे बित जाता है हर दिन हमारा ऐसे ही गुजर जाता है ,
तुम्हारे घर आने पर फिर दिल बहुत मुस्कुराता है ।
हेलमेट लगाकर तूम हमेशा घर से बाइक पर चला करो,
घर वालों की उम्मीदों को भी दिल के एक कोने में हमेशा रखा करो ।
माँ-पिता, पत्नी, बच्चो पर क्या गुजरेगी जब खबर मेरी कुछ ऐसी जाएगी,
बुढापे की लाठी का ख्याल भी तुम दिल में रखा करो,
तुम धीरे घर पर आया करो ।

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: