SHAHWAJ KHAN 29 May 2023 शायरी समाजिक कर के रोशन जमाने को , चिराग, जलना, जमाना, 8473 0 Hindi :: हिंदी
कर के रोशन जमाने को में हर हिस्से में ढल जाता हूं में तो चिराग हूं साहब शाम होते ही जल जाता हूं।
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