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मुझे गलत न समझना-मैं नहीं पागल दिवाना

संदीप कुमार सिंह 11 Nov 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत मेरी यह कविता समाज हित में है।जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभांवित होंगे। 8859 0 Hindi :: हिंदी

मुझे गलत न समझना,
मैं नहीं पागल दिवाना।
मैं तो हूं तेरा प्रेम पुराना,
आ जा पास मेरे रंजना।

अम्बर से भी तारे लाऊँ, 
दुनियाँ के हर कोने मैं जाऊँ।
तेरे वास्ते हर हद पार कर जाऊँ, 
तुम्हें तमाम दुनियाँ शैर कराऊँ।

मुश्किल में जो तूँ कभी आए,
गर गम कभी तुझे सताये।
मैं ले लूँगा तुम्हारी हर मुश्किल,
भले ही जान मेरी क्यों न चली जाए।

प्यार मेरा तेरे लिए है अनमोल,
जिसका  नहीं लगा सकता मोल।
तूँ  बोल या न बोल,
मैं समझता हूं बिन कहे भी तेरी हर बोल।

इस दुनियाँ में तुम ही मेरी हो हूर,
और मैं ही हूँ तेरा नूर।
होता कभी भी मैं न मजबूर,
तुम कभी भी न होना हमसे दूर।

खुदा की नियामत है की हमें जिंदगी मिली,
और मेरी जिन्दगी में तुम चाँदनी बनी।
प्यार का आलम कुछ ऐसा हुआ,
हर पल ही अब सवेरा हुआ।

हम दोनों के बीच कोई आ नहीं सकता,
कोई भी परिस्थिति  तुमसे जुदा नहीं कर सकता।
हम अटूट एक ऐसा हैं संयोजन,
जिनका यहां बहुत ही है प्रयोजन।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:-समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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