संदीप कुमार सिंह 03 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 7272 0 Hindi :: हिंदी
(दोहा छंद) आए दिन बरसात के, बादल गरजे खूब। देखें रिमझिम बूंद को, करें याद महबूब ।। आए दिन बरसात के,नाचे वन में मोर। कली कली अब खिल गई,प्रकृति हुई चितचोर।। आए दिन बरसात के,खुशियाँ लाए साथ। धड़कन में नव जोश हो,दिखे कांति में माथ।। आए दिन बरसात के,जल मय है तालाब। अदभुत खुशी किसान को,सब के मुख पर आब।। आए दिन बरसात के,धरा हुई गुलजार। सुरभित कण कण फूल सा,बूंदों में है प्यार।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....