मोती लाल साहु 30 Mar 2023 कविताएँ धार्मिक मानव तन में अपने आप चलने वाला एक-एक स्वांस जीवन का मूल है, क्योंकि बिना स्वांस के जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती।इस स्वांस का ज्ञान समय के महापुरुष से प्राप्त करना जीवन का उद्देश्य है, जीवन मुक्ति का रहस्य सतगुरु के ज्ञान में ही होता है। 32489 0 Hindi :: हिंदी
मन के हैं चार तरंग, बुद्धि-चित-अहंकार। बस में नहीं मन चंचल, बुद्धि का नहीं मोल! अहंकार तो सरताज, गया चेत सब शुन्य। चेतना हुआ चैतन्य, जब सुना संत वचन! गुरुदेव अर्पण तन-मन, पाया ज्ञान-विवेक। मलिन सब मनके मृदंग, कृपा समाया हृदय! मैं तो आनंद विभोर, घट में टपके-अमृत। शब्द बिन बाजे-अनहद, स्वांस में झुले-हंस! मोती-