संदीप कुमार सिंह 14 Jul 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी रोमांचित होंगें। 4682 0 Hindi :: हिंदी
(मुक्तक छंद) मिलकर उससे मस्त हूं, जीवन बना बहार। सुरभित अब मैं हो रहा, आपस में है प्यार। मन पर करती राज है, उसमें मेरी आस_ नजर कभी भी मत हटे, ऐसा कर श्रृंगार। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....