Ujjwal Kumar 15 Jun 2023 कविताएँ अन्य जितना है नहीं पास उतना जताते हैं लोग 6107 2 5 Hindi :: हिंदी
जितना है नहीं पास उतना जताते हैं लोग बनकर भोले-भाले सबको नचाते हैं लोग समंदर से भी गहरा हो प्यार तुम्हारा फिर भी इस जहां में तुमको ही बेवफा बनाते हैं लोग अच्छाइयां लाखों भरी पड़ी हो तुम में फिर भी सबको गलतियां गिनाते हैं लोग जाने कितनी रातें काली की होगी तुमने फिर भी सुबह जल्दी तुमको उठाते हैं लोग मतलब के लिए इस संसार में सब तुमसे हर रिश्ता अपना निभाते हैं लोग खामोश रहकर भी निगाहें रखते तुम पर खुद को अपनी जिम्मेदारियां दिखाते हैं लोग पागलों की कमी नहीं है इस जहां में यहां सुबह सवेरे ही उठकर बांग लगाते हैं लोग जो खेलते हैं अपने वजूद से खुद जीवन में उनको भी यहां पर आंख दिखाते हैं लोग ना हो नशा किसी बात का फिर भी क्यों दूसरों को देखकर नशे में रहते हैं यहां लोग भूल कर अपने ख्वाबों की दास्तान यहां पर दूसरों को हकीकत दिखाते हैं यहां लोग कवि-उज्ज्वल कुमार,हजारीबाग