संदीप कुमार सिंह 27 Apr 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाजिक हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4042 0 Hindi :: हिंदी
किसी अजनबी ने मेरे दिल पर राज कर ली है, मेरे दिन_रात को अपने ही बस में वो कर ली है, प्यार उसका पाने को दिल बेकरार अब हो गया_ उसकी ही छवि पूर्ण रूप अधिकार कर ली है। बस एक ही मुलाकात में वो जादू कर गई, गहरा असर से मुझको वो सुरभित कर गई, दिल_दिमाग में वही सूरत अब एहसास है_ मुझ पर मादक लबों की प्यास छोड़ कर गई। हुस्न ए मलिक्का की आकर्षण कमाल की है, जैसे बसंती हवा की रुप यौवन बहार की है, देखते ही तन_मन में रंगी खुशियाँ है जगाती_ सु:ख उसमें इतना सुखद चांद की चांदनी की है। बातों में वह अति सर्व प्रिय राग_रागनी की है, शानदार महफ़िल अकेले में वह वीरानगी की है, पायल की खनक सी खुशी रहती उसके साथ_ मेरे दिल में हलचल उसके लिए दीवानगी की है। आज खुशियों में झूमते हुए किमती उपहार दूंगा, और अपने निर्मल प्यार का आज इजहार दूंगा, हसीन सपनों की आज नव झिलमिल रौशनी है_ उसके दिल में सुन्दर जोत अक्स का करार दूंगा। कल मुलाकात बहुत ही रमणीय जानदार रही, दोनों में इजहारे मोहब्बत बहुत ही शानदार रही, हाथों में ले हाथ को साथ रहने की कसम खाई_ ज़िंदगी की खूबसूरत दोनों के लिए उपहार रही। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समातीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....