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वसुन्धरा है मग्न-हरी चुनरिया ओढ़कर धरती लगती खूब

संदीप कुमार सिंह 08 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 8458 0 Hindi :: हिंदी

(मुक्तक छंद)
हरी चुनरिया ओढ़कर,धरती लगती खूब।
सावन जल बरसे अभी,चमक रही है दूब।
काले बादल मस्त है,वसुंधरा है मग्न_
जो देती है अति खुशी,चाह सभी मंसूब।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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