महेश्वर उनियाल उत्तराखंडी 30 Mar 2023 कविताएँ बाल-साहित्य 82410 0 Hindi :: हिंदी
बाल कविता "सुबह सवेरे" हुआ सवेरा चुन्नू मुन्नू मोना को जगाते हैं बंद पड़ा है दरवाजा घर की घंटी बजाते हैं ll सुनकर घर की घंटी मोना दौड़े-दौड़े आती है देख के सारे बच्चों को वह गुड मॉर्निंग चिल्लाती है ll सुबह सवेरे सैर सपाटा करने को वो जाते हैं कभी चलते धीरे से कभी दौड़ लगाते हैं ll देख के सूरज की किरणों को अब तो वो हर्षाते हैं मिलकर सारे नन्हे बच्चे बाल गीत गाते हैं ll खेल खेल में ऐसे ही वो सब कुछ भूल जाते हैं फिर आकर उनके घरवाले सबको घर ले जाते हैं ll रचनाकार:- महेश्वर उनियाल "उत्तराखंडी"