Vipin Bansal 23 Apr 2023 कविताएँ धार्मिक 7427 0 Hindi :: हिंदी
कविता = ( भगवान ) आत्मा ही परमात्मा ! फिर भी ढूंढ़ें भगवान !! पत्थरों में तराश रहा ! रोज़ नए भगवान !! आत्मा की बददुआ ! न खाली जाए वार !! आत्मा गर तृप्त करी ! तृप्त हुए भगवान !! आत्मा ही परमात्मा ! फिर भी ढूंढ़ें भगवान !! नर से ही नारायण बने ! यह ले तू है जान !! नर सेवा नारायण सेवा ! फिर भी है अनजान !! अंधी दौड़ में दौड़ रहा ! देखो अब इंसान !! दुखियों को गले लगा लो ! मिल जाएंगे भगवान !! आत्मा ही परमात्मा ! फिर भी ढूंढ़ें भगवान !! भय ही है अब भगवान ! भय से लेते उसका नाम !! शनिवार को तेल चढ़ाएं ! शनिवार को दान !! एक दशक में बदल है जाते ! इनके हैं भगवान !! भय से गर भक्ति करी ! तानाशाही की पहचान !! आत्मा ही परमात्मा ! फिर भी ढूंढ़ें भगवान !! खाकर प्रेम के तीन है दाने ! तीनो लोक लगे लुटाने !! प्रेम बंधन में बंधते आए ! अबतक है भगवान !! भूमि, गगन, वायु, आकाश, नीर ! इनसे मिलकर बना शरीर !! पंचतत्व से बना ये नाम ! जिसको कहते हम भगवान !! आत्मा ही परमात्मा ! फिर भी ढूंढ़ें भगवान !! विपिन बंसल भूमि + गगन + वायु + आकाश + नीर = भगवान