Manisha Singh 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक Shayri, Whatsapp, Status, Latest news, match, update, google, first, twitter, 85587 0 Hindi :: हिंदी
कितना अच्छा होता ना अगर सुबह सुबह ये अख़बार न आया करता कितना मनहूस है ये रोज किसी के मरने की ख़बर ले आता हैं हर रोज़ किसी ना किसी बहन की इज़्ज़त लुटने का गम दे जाता हैं किसी न किसी सरकारी बाबू की रोज़ पोल खुलती है रोज़ कोई ना कोई मौत को गले लगाता हैं ख़ुशी की बात तो अब ये कम ही करने लगा हैं, दुःखो की बस खिल्ली उडाता जाता हैं सच कहूँ तो कसूर इसका हैं नहीं ये तो समाज ही हैं जो इसे ऐसा बनाता हैं |
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