Prince 10 Jun 2023 कविताएँ दुःखद #Google #हिन्दी कविता #समाजिक #हिन्दी साहित्य #दुःखद 4340 0 Hindi :: हिंदी
अज्ञानता की अँधेरी रात है, समाज की कुरीतियों का अन्धकार। दुष्कर्मों का घना पार्दा है, मनुष्यता की आदतों का विकार। कुछ लोगों में दहशत बसी है, दूसरों की आत्मा में आग। भ्रष्टाचार और न्याय का हार है, समाज के अनेक अपराधों की झाड़ी। प्रेम की स्थापना होती थी कहां, अब राजनीति ने इसे भंग किया। आपसी शान्ति और सम्मान नहीं, मतभेदों ने सबको बिखेर दिया। स्त्री और मर्द, जाति और धर्म, बन गए हैं भीषण बटोरों के ताले। इन खोखलेपन में खो गया है आदर, निखरते रहते हैं केवल गले। बालविवाह, दहेज़, पुरुषाधिकार, जैसे अँधेरे घिरे हैं समाज को। स्वयंसेवी, ख़ैराती, स्वेच्छाचार, ये सभी तोड़ देंगे भारत को। उठो जागो, मत रहो सोये, विचारों के आँधी को उठाओ। समाज की कुरीतियों को मिटाएं, नये सुनहरे भविष्य का निर्माण करो। विश्वासघात, लोभ और असत्यता, समाज को दाग लगा रहे हैं। व्यापारिक दुनिया में न्याय का भ्रम, ईमानदारी को गाँव रहे हैं। असंतोष, दुःख और विषाद है, जीवन में सुख की कमी छा रही है। सामाजिक बंधनों की बेड़ियां हैं, आत्मसम्मान को घेरा रही है। समाजिक कुरीतियों के पर्दे हटाओ, अंधकार को दूर करो रोशनी लाओ। वाद-विवाद के स्थान पर समझौता, प्यार, सम्मान और सहयोग संचाओ। समुदायों के बीच मेलजोल बढ़ाओ, सबको एक साथ मिलकर चलना सिखाओ। समाज की स्वाभिमान बढ़ाने की आग हो, दुर्भाग्य को दूर भगाने का दाग हो। प्रेम, सद्भाव, अनुशासन और सच्चाई, इन मूल्यों को समाज में प्रचार करो। कुरीतियों को अपने जीवन से हटाओ, एक नया समाज निर्माण करने में सहायता करो। व्यापार का चक्र निरंतर घूम रहा है, समाज को व्यवहारिकता में खो रहा है। लालच, लोभ और नफ़रत की ज्वाला, मानवता को तबाह कर रही है। दलित, गरीब, स्त्री और अल्पसंख्यक, उनके अधिकारों पर चोट पहुंच रही है। भ्रष्टाचार, न्याय के पार किया है, इंसानियत को गर्दिश में घसीट रही है। समाज के रंग-मंच पर नाटक चल रहा है, न्याय और सच्चाई की कोई पहचान नहीं। विरोध, विभाजन और विद्रोह का जहाज, मित्रता और सौहार्द को तोड़ रहा है। हमें संगठित होकर आगे बढ़ना होगा, सामरिक भूमि में न्याय और समानता लाना होगा। समाज के अंतर्निहित दुःख को हल करें, सभ्यता, समृद्धि और प्रगति को जीना होगा। कुरीतियों से सदा खड़ा हो जाएं, जिस्म और मस्तिष्क को सुधारना होगा। सबको मानवता की ओर बढ़ाना होगा, खुशहाल और उज्ज्वल समाज सजाना होगा। दोस्तो ! कविता अच्छी लगे तो शेयर , फॉलो और कमेंट जरुर करें एक कवितालिखने मे बहुत मेहनत लगती हैं । आपका बहुत आभार होगा । लेखक : प्रिंस ✒️📗
I am a curious person. Focus on improving yourself not 'proving' yourself. I keenly love to write st...