संदीप कुमार सिंह 29 Apr 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाजिक हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5867 0 Hindi :: हिंदी
मैं भी खूब पैसा कमाऊं, सब पे अपनी धाक जमाऊं। आगे _आगे बढ़ता जाऊं, धीरे _धीरे गगन को भी छूं लूं। अपने पास भी सारे सु:ख सुविधा हों, मोटर कार बंगला भी हों। जो चाहूं वो सब पाऊं, सारी दुनिया पर छा जाऊं।, बस इतना सी आरजू है, मैं भी बड़ा धनवान बन जाऊं। सोना_चांदी, हीरे_मोती सब हों, अरबों में बैंक बैलेंस भी हों। मुझे बड़ा शौख है धनवान बनने का, धन का सार्थक प्रयोग भी करना चाहता हूं। समाज के लिए कुछ भलाई का कार्य करूं, इस अनमोल जीवन को पावन करूं। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....