Shubhashini singh 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य Google /Yahoo/Bing /instagram/Facebook/twitter 29268 0 Hindi :: हिंदी
ज़िन्दगी ने पकड़ रखी रफ़्तार मानो जैसे ट्रेन की हो ये रफ़्तार जिंदगी भी वही रुकेगी जहां इसकी मंजिल है ना ये पीछे जाएगी ना ही ये पीछे मूड कर देखेगी अब बस आगे चलते रहना है ज़िन्दगी के इस राह में जिसने साथ दिया वो साथ रहेगा और जिसने साथ छोड़ा उसका साथ छूटेगा अब जिंदगी ने पकड़ रखी रफ़्तार अब रुकना वही है जहां मंजिल हो अब थामना वही है जहां रास्ता खत्म हो अब जाना वही है जहां क़िस्मत हो ज़िन्दगी ने पकड़ रखी है रफ़्तार....