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पहले जैसा अब कहां-प्यारे प्यारे लोग लगे हुए सब होड़ में और बढ़े नव रोग

संदीप कुमार सिंह 14 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 6708 0 Hindi :: हिंदी

(दोहा छंद) 
पहले जैसे अब कहां, प्यारे प्यारे लोग।
लगे हुए सब होड़ में,और बढ़े नव रोग।।

पहले जैसे अब कहां, उमस भड़ी है बात।
चक्कर काटे खूब तो,खुशी भरी हो रात।।

पहले जैसे अब कहां,छलियों का है राज।
छलते कोई भी  यहां,बनते फिरते बाज।।

पहले जैसे अब कहां,चैन रैन आराम।
चिन्ता सोते जागते,फिर भी हो बदनाम।।

पहले जैसे अब कहां,पानी हवा जुगार।
मिले मिलावट में सभी,छीने पर अधिकार।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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