संदीप कुमार सिंह 07 May 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 3677 0 Other :: Other
माया के भ्रम जाल का,ढूंढें सभी निदान। जाते पर सब ही उलझ,छूटे नहीं गुमान।। माया के भ्रम जाल से, बचें सदा इन्सान। साथी बन अनुराग का,उनका अरु पहचान।। माया के भ्रम जाल से, प्रथम निकलना काम। रखिए सुन्दर सोच को,जीवन हो गुलफाम।। माया के भ्रम जाल में,दुनिया सारी व्यस्त। दुख को लेते मोल हैं,प्राण मूल का अस्त।। माया के भ्रम जाल में, हों मत जन बर्बाद। ग्रहण करें संतोष रस,रहें अटल आबाद।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....