Karuna bharti 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद Google 88017 0 Hindi :: हिंदी
ख़ुदकी चाहत मे, खुदके भी ना रहे इतनी हद से चाहत की -की,मरहम भी न मिल सके शिकायत क्या करे किसी से, उस लायक भी न रहे घुटन भरी परी है जिन्दगी, जिसमे मर भी न सके ऐ खुदा मेहर कर, तू ही कुछ सुकर कर, जलाकर मेरी इमारत, मिट्टी कुबूल कर ले कुछ बचा नही है ख्वाब अब, अपनी मोहब्बत से हारके खुदकी चाहत मे, खुदके भी ना रहे