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उतरन(पुराने वस्तुओं) पर कविता

Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #ambedkar Nagar poetry#Rambriksh kavita#purane vastu per kavita#Utaran per kavita 57787 0 Hindi :: हिंदी

कविता-उतरन

उतरन!
उतरन को समझते है 
बेफजूल
अनावश्यक
बेकार
किसी को देने में भी
हिचकिचाते हैं
शर्माते हैं
और फेंकने में
गर्व महसूस करते हैं
किन्तु!
देखा है
उतरन को
उत्साह से
शौक से
खुशी से
लेते
उठाते
ले जाते
घर तक
धन्यवाद देते
ईश्वर को
आशीर्वाद देते
इंसान को। 
पर हां!
सीधे सीधे
लेना/देना
अन्त: मन में
विरोधी भाव उत्पन्न करते हैं
दाता
एहसान समझता है
लेता
अपमान,
समय पर
आवश्यकता पर
बेफजूल चीजें भी
सम्मान/आदर्श बन जाते हैं
किसी गरीब के लिए। 
उतरन
जान बचाता है
ठण्ड में
किसी
असहाय का
शान बन जाता है
नंगे
इंसान का,
घन्य है उतरन!
धन्य है!


रचनाकार- रामवृक्ष,अम्बेडकरनगर। 

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