संदीप कुमार सिंह 08 Jul 2023 कविताएँ अन्य मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 8115 0 Hindi :: हिंदी
(मुक्तक छंद) कलकल चंचल जल दिखे, बांध हुआ है भग्न। बरसे सावन झूम के,सभी नदी जलमग्न। मस्त सरकार सो रहे,आनन फानन काम_ सड़कों का भी लय बुरा,जैसा लगता नग्न। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....