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नाग पंचमी

Uma mittal 30 Mar 2023 आलेख धार्मिक नाग देवता 27614 0 Hindi :: हिंदी

एक बार की बात है भोले शिव जी कैलाश पर विराजमान थे |सभी देवी देवताओं की किस दिन विशेष पूजा होगी, चर्चा हो रही थी कि कृष्ण जी की जन्माष्टमी ,तो लक्ष्मी जी की दीपावली ,हनुमान जी की हनुमान जयंती, तब ही भगवान शिव के गले में लिपटे नाग देवता बोले ,”प्रभु मेरी पूजा किस दिन होगी ,यह भी आप तय करें |साल में एक बार मेरी पूजा भी होनी चाहिए ,आप खुद सोचिए प्रभु, आपके सिर पर विराजमान चंद्रदेव और गंगा मैया की पूजा भी तो होती है ,अतः एक दिन सभी नागों के सम्मान के लिए पूजा का दिन होना चाहिए ,हर इंसान हमसे डरता है, अगर नागों की पूजा होगी तो हम सभी नागों को बहुत खुशी होगी “| काफी विचार के बाद सावन की पंचमी शुक्ल पक्ष के दिन नागों की पूजा होगी ,ऐसा शिव जी ने नाग देवता को आश्वासन दिया |कहते हैं तभी से नाग देवता की पूजा सावन की पंचमी तिथि के दिन होती है | एक कथा के अनुसार एक बार एक सेठ जो शिव भक्त था उसने नाग देवता की पूजा करने से मना कर दिया और उसे काफी दुख का सामना करना पड़ा तब सेठ की पुत्रवधू ने नाग देवता को भाई मानकर उनकी पूजा की जिससे खुश होकर नाग देवता ने उसको आशीर्वाद दिया और नाग देवता ने भी अपना भाई वाला फर्ज निभाया और उसकी हर संकट से रक्षा की और उसके घर को धन-धान्य से भर दिया और घर की समस्या का भी अंत कर दिया | तभी से नाग देवता की पूजा होने लगी | एक और कथा के अनुसार सात देवरानी जेठानी थे, छोटी देवरानी का भाई नहीं था जिसके कारण उसे काफी अपमानित होना पड़ता था |एक दिन उसने नाग देवता को भाई मानकर पूजा की और नाग देवता से अपना सारा दुख कहा |जिससे नाग देवता को उस पर दया आ गई और नाग देवता ने भी उसको अपनी बहन स्वीकार कर लिया | एक दिन नाग देवता उसके ससुराल में आए | एक पल में ही वह नाग देवता को पहचान गई | ससुराल में उस देवरानी ने नाग देवता को उसका दूर का भाई बताया और उसे नाग देवता अपने घर ले गए |वह वहां का वैभव देखकर हैरान रह गई |नाग देवता ने उसको सोना चांदी हीरा बहुत सारा उपहार देकर ससुराल में विदा किया और हर दम उसका भाई बनकर हर प्रकार से रक्षा करने लगे | अब ससुराल में उसकी इज्जत सबसे अधिक हो गई |इस तरह नाग देवता ने उसकी हर तरह से परेशानी दूर की |इस दिन लोग नाग देवता के मंदिर में जा कर पूजा करते हैं | अगर किसी जगह नाग देवता का मंदिर ना मिले तो शिव मंदिर जाकर भी शिव जी के साथ, जो नाग देवता होते हैं उनकी पूजा करते हैं | कुछ लोग श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दूसरे दिन नाग देवता की पूजा करते हैं उसे गोगा नवमी कहते हैं |कहते हैं जो भी स्त्री नाग देवता की पूजा भाई रूप में करती है उसे नाग देवता किसी प्रकार का कष्ट नहीं होने देते और खुद उनकी रक्षा करते हैं |इसमें भी कोई संदेह नहीं है कि रामायण में श्री राम जी के छोटे भाई श्री लक्ष्मण जी और द्वापर युग में श्री कृष्ण जी के बड़े भाई बलराम जी स्वयं शेषनाग के अवतार थे |पुराणों में कई कहानियां प्रचलित है परंतु सभी का अर्थ एक ही है कि नाग देवता की पूजा अवश्य करनी चाहिए | जय नाग देवता ||
उमा मित्तल
राजपुरा टाउन



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