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बेरुखी दुनिया |

Shakuntla Sharma 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य # बेरुखी दुनिया# वफा तलाश ना कर# चार कंधे 21625 0 Hindi :: हिंदी

 बेरुखी दुनिया में  वफ़ा तलाश ना कर ।
तेरे गमों को खुरेदकर जख्मों को नासूर कर देगी
इस जमाने से कोई उम्मीद ना कर ।
बेरूखी दुनिया में वफा तलाश ना कर ॥
आज मेरा तो कल तेरा जमाना का दस्तूर है।
यहां हर इंसान अपने हालत से मजबूर है ॥
बदलते लोगों की फितरत पर वक्त जया ना कर ।
बेरुखी दुनिया में वफा तलाश ना कर ॥
दर्द में मरहम लगाने वाले वो कोई ओर थे।
वफा की कसमें रवाने वाले वो कोई ओर थे ।
झूठी शान  पर अश्कों को बर्बाद ना कर 
बेरुखी दुनिया में वफा तलाश ना कर ॥ 
जिन्दा इंसान से नफरत करके जिंदा जलायेगे ।
मरने के बाद चार आंसू झूठ के बहा देगे ।
चार कंधो की खातिर खुद को मजबूर ना कर ॥
बेरुखी दुनिया में वफा तलाश ना कर ॥

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